सिर्फ कहानी और किताबें लिखकर घर नहीं चला सकते. घर चलाने के लिए कुछ और भी करना होता है. साहित्य आजतक के मंच पर कभी निर्देशक जोड़ी आज़म और अकबर क़ादरी ने अपनी फिल्म लेखन के बारे में बताया था. एंकर नेहा बाथम के एक सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने यह बातें कही थी. उन्होंने बताया था कि कैसे वो पहले कहानी लिखते थे और फिर कैसे फिल्मों के लिए लिखने लगे. यह सब पापी पेट ने कराया और पेट के लिए यह सब करना होता है.
Sahitya Tak आपके पास शब्दों की दुनिया की हर धड़कन के साथ I शब्द जब बनता है साहित्य I वाक्य करते हैं सरगोशियां I जब बन जाती हैं किताबें, रच जाती हैं कविताएं, कहानियां, व्यंग्य, निबंध, लेख, किस्से व उपन्यास I Sahitya Tak अपने दर्शकों के लिये लेकर आ रहा साहित्य के क्षेत्र की हर हलचल I सूरदास, कबीर, तुलसी, भारतेंदु, प्रेमचंद, प्रसाद, निराला, दिनकर, महादेवी से लेकर आज तक सृजित हर उस शब्द की खबर, हर उस सृजन का लेखा, जिससे बन रहा हमारा साहित्य, गढ़ा जा रहा इतिहास, बन रहा हमारा वर्तमान व समाज I साहित्य, सृजन, शब्द, साहित्यकार व साहित्यिक हलचलों से लबरेज दिलचस्प चैनल Sahitya Tak. तुरंत सब्स्क्राइब करें व सुनें दादी मां के किस्से कहानियां ही नहीं, आज के किस्सागो की कहानियां, कविताएं, शेरो-शायरी, ग़ज़ल, कव्वाली, और भी बहुत कुछ I