AkbarAzam

Parakhnali

इस कहानीसंग्रह की सबसे बेहतरीन बात यही है कि एक ही किताब में आपको ज़हनी तौर पर दो अलगअलग शैलियों के रास्ते मिलते हैंअकबर की कहानियाँ सरल तरीक़े से अपने किरदारों को बुनते हुए एक ऐसे घर, ऐसे मोहल्ल्ले का लिबास तैयार करती हैं जो लगभग हर किसी का पहना हुआ होता हैचाहे किरदार में कोई बहरूपिया हो, चाहे कोई मौलवी या घर के आख़िरी कौने में बैठी एक औरतवहीं आज़म की कहानियाँ आपको ऐसे सरीयल रास्ते पर ले जाती हैं जहाँ किरदार तो आज के दौर के हैं पर उनका ताना इतिहास से जुड़ा हैशैली में फ़ैक्ट और फ़ेंटसी की इतनी घुमावदार गलियाँ हैं कि कभीकभी इतिहास और भविष्य दोनों एकसे लगने लगते हैंचाहे मामा शकुनी हो, बाबर हो या लैलासी कोई किवणीशानदार मँझी हुई नयी क़लम आपको पुराने लेखकों को याद करने का मौका ज़रूर देती है